Nasha Mukti Kendra Bhopal

 नशा करने से मानव शरीर का लगभग हरेक अंग प्रभावित होता है, यही नहीं बल्कि मानसिकता, विचार और सोच पर भी नशे का दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। हालाँकि ये भी निर्भर करता है की इंसान किस किस चीज का नशा करता है? कितने वक़्त से नशा करता है? नशा करने की बारम्बारता कैसी रही है? किस उम्र से नशे का शिकार हुआ? या क्यों ही नशा करता है? इस प्रकार हमें कई पहलुओं को समझना होगा ताकि दुष्प्रभाव का आंकलन करने में आसानी हो। सामान्यतया जो देखा गया है वो है शराब, सिगरेट, गुटका, तम्बाकू, अफीम, ड्रग्स, सिलोचन, नींद की दवा, दर्द निवारक दवा, जुए का नशा, TV देखने की लत, इंटरनेट और सोशल मीडिया की लत या इस तरह के अनगिनत और फ़िज़ूल की चीजें जो की एक स्वस्थ इंसान का समय, पैसे, ऊर्जा और मानसिकता के लिए हर हल में हानिकारक सिद्ध हुआ है। Nasha Mukti  Kendra Bhopal


सबसे पहले तो जो इंसान नशे का आदि हो चूका है उसकी मानसिकता प्रभावित होती है। उसके आक्रामकता, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, हमेशा हड़बड़ में रहना, बातें और चीजें छुपाना, अकेले रहने की आदत, चिंताग्रस्त, असामान्य भावुकता या क्रोध जैसी आदतें पनपने लगती है और ये दिनों दिन बढ़ता जाता है, दूसरे शब्दों में यही चीजें बाद में कारण बन जाती है नसेड़ी के नशा करने की बारम्बारता का। गौर कीजिये तो समझ में आएगा की इनमें से एक भी आदत सामान्यतया स्वस्थ इंसान से कोशों दूर पाया जाता है। 


 लगातार नशा करने से मनुष्य का मस्तिष्क धीरे धीरे संकुचित होने लगता है, ठीक से सोचना और निर्णय नहीं लेना एकआम बात होती है। मानसिक रूप से नशे पर और परनिर्भरता आ जाती है है नशेड़ियों में। आंखों में लालिमा या पीलापन होना सुरु हो जाता है। फिर कम दिखना या धुंधला दिखने लगता है। चेहरे पर झुर्रियां और असमय वृद्ध दिखने लगता है।दांतों में दर्द और दांत की समस्याएं होने  लगती है। मुँह में लार कम बनने लगता है जिसके कारण पाचन क्रिया प्रभावित होती है। मनुष्यों में जिह्वा छोटी और मोती हो जाती है, जो सामान्य रूप से मुँह के अंदर घूम भी नहीं पाती। भोजन तथा स्वांस नलिका दोनों सामान रूप से विकृत होने लगता है जो बाद में कई बिमारियों का कारण बन जाती है। सांस लेने की प्रक्रिया दिनों दिन छोटी और  असामान्य हो जाती है। लगातार नशे के कारण मनुष्य का फेंफड़ा, ह्रदय, अमाशय,अग्न्याशय, जठरग्रंथि,  पित्ताशय, यकृत तथा गुर्दे की बीमारियां होती है जिसका इलाज बड़े अस्पतालों में बड़ा ही महंगा है। कभी कभार बात इतनी बिगड़ जाती है की अंग प्रत्यारोपण की भी आवस्यकता पड़ती है। कुल मिलकर बात ये समझ में आती है की जो इंसान रोज रोज और लगातार नशा करेगा उसका शारीरिक और मानसिक क्रियान्वन असंतुलित होगा। 


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